अमरीकी स्पेस एजेंसी के अभियान ‘न्यू हराइज़न्स’ ने सौरमंडल के बाहरी हिस्से में स्थित अल्टिमा ठूली (Ultima Thule) नामक पिंड के क़रीब से गुज़रने के बाद पृथ्वी से संपर्क किया है, जोकि अपने आप में एक बड़ी कामयाबी है। जिस समय यह स्पेसक्राफ़्ट नासा के संपर्क में आया, उस समय वह पृथ्वी से 6.5 अरब किलोमीटर की दूरी पर था। जिसके साथ यह सौरमंडल में सबसे दूर चलाया जाने वाला सफल अभियान माना गया है। न्यू हराइज़न्स नामक रोबॉटिक स्पेसक्राफ़्ट ने अल्टिमा ठूली के पास से गुज़रते हुए इस पिंड की काफ़ी तस्वीरें एवं अहम जानकारियां नोट की तथा उन्हें पृथ्वी पर साझा भी किया। इसके साथ ही यह आने वाले 20 महीनों तक मिली हुयी जानकरियाँ पृथ्वी के साथ साझा करता रहेगा।
कैसे मिला संदेश ?
अंतरिक्ष यान से भेजे गए रेडियो संदेश स्पेन के मैड्रिड में लगे नासा के बड़े ऐंटेना में पकड़े गये,संदेशों को पृथ्वी एवं अल्टिमा के बीच लंबी दूरी को तय करने में कुल छह घंटे एवं आठ मिनट का समय लगा, स्पेसक्राफ़्ट से आए पहले रेडियो मेसेज में सिर्फ़ इंजिनियरिंग से जुड़ी जानकारी थी,जिसमें उसकी स्थिति के बारे में बताया गया था, जिसमें इस बात की पुष्टि भी शामिल थी कि न्यू हराइज़न्स ने तस्वीरें खींच ली हैं , जिसके साथ इसकी मेमरी पूरी तरह से भर चुकी है।
सिग्नल रिसीव होते ही मैरीलैंड स्थित जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एप्लाइड फ़िज़िक्स लैबरेटरी में उत्साह का माहौल हुआ सभी ने तालियाँ बजाकर इस जीत का जश्न मनाया। इस मिशन के ऑपरेशंस मैनेजर ऐलिस बोमैन का कहना है, कि “हमारा एयरक्राफ़्ट सुरक्षित है,और हमने सबसे दूर फ़्लाइबाइ करने में सफलता भी हासिल की है”।
फ़्लाइबाइ का अर्थ किसी स्थान या बिंदू के पास से होकर गुज़रना
अभी न्यू हराइज़न्स द्वारा और भी तस्वीरें भेजना बाक़ी है,जिससे वैज्ञानिकों एवं लोगों को यह पता चलेगा कि स्पेसक्राफ़्ट द्वारा अपने कैमरे में क्या-क्या क़ैद किया गया है। देखना यह है कि तस्वीरें खींचते समय स्पेसक्राफ़्ट किस स्थिति में था, अगर उसकी स्थिति सही नहीं रही होगी तो उसने ख़ाली अंतरिक्ष की ही तस्वीरें कैद की होंगी।
अल्टिमा सौर मंडल के उस हिस्से में स्थित है जिसे काइपर बेल्ट कहा जाता है, यह बेल्ट जमे हुए पिंडों से बनी है जो नेपच्यून से 2 अरब किलोमीटर और प्लूटो से 1.5 अरब किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, ये पिंड सूरज की परिक्रमा करते रहते हैं, वर्ष 2015 में न्यू हराइज़न्स प्लूटो के पास से भी गुज़रा था। मौजूदा तथ्यों से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि काइपर बेल्ट में अल्टिमा जैसे हज़ारों पिंड हैं तथा वह ऐसी स्थिति में हैं जिससे यह पता लगाया सकता है कि आज से 4.6 अरब साल पहले कैसे हालात रहे होंगे, जब सौर मंडल का निर्माण किया गया था।
न्यू हराइज़न्स एवं पृथ्वी के बीच दूरी बहुत लंबी है, स्पेसक्राफ़्ट में छोटा सा 15 वॉट का ट्रांसमिटर लगा हुआ है, जिससे यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि डेटा बहुत धीमी रफ़्तार से पहुँचेगा,लगभग 1 किलोबिट प्रति सेकंड की रफ़्तार से आ सकता है, इस स्थिति में इस स्पेसक्राफ़्ट द्वारा ली गयी सभी जानकरियाँ एवं जितनी भी तस्वीरें आदि स्टोर की हैं, उन्हें पृथ्वी पर रिसीव करने का काम सितंबर 2020 (लगभग 20 महीने) तक पूरा होने की उम्मीद की जा रही है।
लेकिन इस अभियान के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर एलन स्टर्न का कहना है, कि इसमें कोई ख़ास मुश्किल नहीं होगी,
“इस हफ़्ते जो कम रेज़लूशन वाली तस्वीरें आएंगी, उससे अल्टिमा के भूगोल और उसके ढांचे के बारे में बुनियादी जानकारियां हमें मिल जाएंगी, इस तरह हम अगले हफ़्ते से पहला साइंटिफ़िक पेपर लिखना शुरू कर देंगे |”
काइपर बेल्ट में वैज्ञानिको की दिलचस्पी इतनी क्यों है ?
- क्योंकिअल्टिमा ठूली को लेकर तथा वह जहां पर यह स्थित है, उस जगह को लेकर वैज्ञानिकों में काफ़ी जिज्ञासा उत्पन्न हो गयी है।
- क्योंकि इस हिस्से में सूरज की बहुत कम किरणें पहुंचती हैं और यहां तापमान भी बहुत कम है, जिसकी वजह से यहां पर रासायनिक प्रक्रिया लगभग न के बराबर हुई होगी, इससे यह साफ़ है कि अल्टिमा तब से जमी हुई अवस्था में है, जब से इसका निर्माण हुआ है।
- क्योंकि अल्टिमा ठूली का मात्र 30 किलोमीटर आकार का है, ऐसे में इसकी बनावट में शुरू से लेकर अब तक अपने आप अधिक बदलाव की सम्भावना बहुत कम है ।
- क्योंकि काइपर बेल्ट में पिंडो में आपस में टकराने की घटनाये अपेक्षाकृत कम हुई हैं।
कैसे पड़ा नाम ?
प्लूटो के बाद फ्लाईबाई के लिए जब न्यू होरायजन की टीम एक नए काईपर पिंड की तलाश में थी तो उन्हें हबल टेलिस्कोप से 26 जून 2014 को इस पिंड का पता चला था | तब इस पिंड को अधिकारिक रूप से 2014 MU69 (486958) नाम प्रदान किया गया था | लेकिन 2018 में पब्लिक वोटिंग के आधार पर इसे अल्टिमा ठूली (Ultima Thule) उपनाम दिया गया था, जिसका अर्थ होता है “ज्ञात संसार से परे” |
क्यों है अल्टिमा महत्वपूर्ण ?
इस बारे में बताते हुए एलन स्टर्न कहते हैं[[su_quote]हम अल्टिमा के बारे में जो कुछ जानेंगे, उससे हमें पता चलेगा कि सौर मंडल का निर्माण किन चीज़ों से एवं कैसे हुआ है, अब से पहले हमने जिन भी पिंडों पर उपग्रह भेजे हैं तथा जिनके पास से भी हमारे स्पेसक्राफ़्ट गुज़रे हैं, उनसे हमें यह जानकारियाँ नहीं मिल पाई क्योंकि वे या तो बहुत बड़े थे या फिर गरम थे पर अल्टिमा इनसे अलग है।[/su_quote]