बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मिली मंजूरी

    बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय

    केंद्रीय कैबिनेट ने बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मंजूरी दी है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी मिली | विलय के बाद एसबीआई एवं आईसीआईसीआई के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा बैंक आफ बड़ौदा । केंद्रीय कानून मंत्री के अनुसार यह बैंकिंग सेक्टर में सुधार के तहत उठाया गया कदम है। इस विलय से कर्मचारियों के कार्य पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि देना और विजया बैंक के कर्मचारियों को बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थानांतरित कर दिया जाएगा |

    वैकल्पिक तंत्र (Alternative Mechanism)

    सितंबर, 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली वैकल्पिक व्यवस्था में तीनों बैंकों के विलय को सैद्धान्तिक मंजूरी मिली थी। जेटली की अध्यक्षता में यहां वैकल्पिक तंत्र (एएम) की बैठक हुई जिसमें इन तीनों सरकारी बैंकों को विलय पर विचार करने का निर्णय लिया गया। इस तंत्र में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण रेलमंत्री पीयूष गोयल शामिल थे । वित्तीय सेवा सचिव का कहना है कि विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली इकाई के कर्मचारियों को बेहतरीन सेवा शर्तें मिलेंगी,और किसी भी कर्मचारी को इसमें कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।

    विलय का उद्देश्य

    विलय का उद्देश्य है की दो मजबूत बैंक मिलकर एक कमजोर बैंक को अपने में समाहित कर लें | और इससे एक बड़ा और मजबूत बैंक बनेगा जिसकी ऋण देने की क्षमता कहीं ज्यादा होगी | तीनो बैंकों में देना बैंक को आरबीआई ने प्रांप्ट करेक्टिव एक्शन की सूचि में रख रखा था, जिसकी वजह से यह बैंक आगे ऋण नही दे सकता था | लेकिन इस विलय के बाद देना बैंक इस सूचि से बाहर हो जायेगा |

    विलय का शेयर धारकों पर प्रभाव

    विलय की योजनानुसार विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर दिए जाएँगे । जबकि देना बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर दिए जाएँगे। विलय के बाद तीनों बैंक स्वतंत्र रूप से काम करते रहेंगे। इसके बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी।

    विरोध

    बैंक कर्मचारी संगठन इस विलय का विरोध कर रहे है, 21 और 26 दिसंबर 2018 को 10 लाख बैंक कर्मचारी इस विलय के विरोध में हड़ताल पर रहे । यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के अनुसार विलय बैंकों या उनके ग्राहकों के हित में नहीं है, बल्कि दोनों के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।

    बैंक ऑफ़ बड़ौदा के बारे में कुछ तथ्य:

    • वर्तमान मैनेजिंग डायरेक्टर एंड सीईओ – पी. एस. जयकुमार
    • मुख्यालय – वड़ोदरा, गुजरात
    • स्थापना – 20 जुलाई 1908

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