गगनयान प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी, 7 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे 3 भारतीय

गगनयान प्रोजेक्ट

कैबिनेट द्वारा तीन सदस्यीय दल को सात दिन के लिये अंतरिक्ष में भेजने की गगनयान परियोजना को मंजूरी मिली है | गगनयान स्वदेशी मानवयुक्त स्पेसफ्लाइट होगी जिसे साल 2022 तक 3 भारतीय के साथ अंतरिक्ष में भेजने का प्रस्ताव पारित हुआ है | इसके साथ ही मानव को अंतरिक्ष में भेजने वाला भारत चौथा देश होगा, भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ऐसा कर चुके हैं। इसके लिए बजट भी मंजूर कर दिया गया है। इसमें 10 हजार करोड़ का खर्च आएग |

गगनयान परियोजना की घोषणा भारत के 72 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी थी। भारत को इस परियोजना में रूस एवं फ्रांस की समदद मिलेगी | इसकी पहल इन देशों ने स्वेक्षा से की है, भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को ‘व्योमनट्स’ नाम देगा, संस्कृत में ‘व्योम’ का अर्थ अंतरिक्ष होता है। अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने का कार्य राष्ट्रीय एजेंसियां, शिक्षाविद् एवं लैबोरेटरी विशेषज्ञों को दिया गया है।

गगनयान मिशन के लिए ISRO के द्वारा बनाये गए भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान GSLV MK III का उपयोग किया जायेगा | इस स्पेस फ्लाइट को धरती की नीची कक्षा (300-400km) में रखा जायेगा, जहाँ तक पहुँचाने में इसे 16 मिनट का वक्त लगेगा| अपनी सात दिनों की यात्रा पूरी करने के बाद यह स्पेसक्राफ्ट धरती पर वापस लौटने में लगभग 36 घंटे का समय लेगा और यह गुजरात के तट के नजदीक अरब सागर में उतरेगा |

मिशन को अंजाम देने में एक दिग्गज महिला वैज्ञानिक की सबसे अहम भूमिका रही हैं, 30 साल का अनुभव रखने वाली 56 वर्षीय डॉ. ललिथंबिका अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को कई उपलब्धियां दिलाने वाली टीमों का हिस्सा रह चुकी हैं। इसरो(ISRO) ने फरवरी, 2017 में पीएसएलवी के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट को सफल तरीके से परीक्षण कर इतिहास रचा था, तब ललिथंबिका भी इस टीम का हिस्सी थीं।

लाभ:

  • अंतरिक्ष में मानव मिशन सफल रहने के बाद चांद या अन्य ग्रहों पर भी मानव मिशन भेजने की राह खुल जाएगी ।
  • इससे आने वाले वर्षो में अंतरिक्ष पर्यटन के बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाएगी ।
  • इससे इसरो की उपग्रह प्रक्षेपित करने की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी |
  • इस मिशन से लगभग 15000 लोगो को रोजगार और नौकरी मिलेगी |

इसरो के बारे कुछ महतवपूर्ण तथ्य:

  • ISRO –  Indian Space Research Organisation
  • मुख्यालय – बेंगलुरु , कर्नाटक
  • वर्तमान चेयरमैन – डॉ के. सिवान
  • मुख्य स्पेसपोर्ट – सतीश धवन स्पेस सेण्टर, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश
  • मंत्रालय – Department of Space Indian Space Research Organisation
  • Website – isro.gov.in