जानें नई शिक्षा नीति 2020 से क्या -क्या बदलाव होंगे 

नई शिक्षा नीति 2020

जानें नई शिक्षा नीति 2020 से क्या -क्या बदलाव होंगे
Learn what will be the changes from the new education policy 2020

भारत में नई शिक्षा नीति 2020 को कैबिनेट की मंज़ूरी 29 जुलाई 2020 को मिल गई है, जिसके लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6% भाग खर्च किया जायेगा, अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में कराई जाएगी,भारत में सबसे पहली शिक्षा नीति पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने 1968 में शुरू की थी, जिसके बाद राजीव गाँधी की सरकार ने 1986 में दूसरी शिक्षा नीति बनायीं जिसमें नरसिम्हा राव सरकार द्वारा  1992 में कुछ अन्य बदलाव भी किये गए  थे । जिसके बाद लगभग 34 साल बाद 2020 में इसमें कई अहम व महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं ।

इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है । केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर एवं  रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ द्वारा  घोषणा कर यह भी कहा गया है कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों हेतु एक ही नियामक होगा एवं  एमफिल को खत्म कर दिया  जाएगा । उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का कहना है की डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच (NETF) भी बनाया जाएगा । जिसमें ई-पाठ्यक्रम (ई-कोर्सिस) शुरू में आठ क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित होंगे तथा  वर्चुअल लैब भी विकसित की जाएगी ।

नई शिक्षा नीति के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनाई गयी है । जिसके तहत स्कूली शिक्षा के साथ साथ उच्च शिक्षा में भी कई अहम बदलाव किए गये हैं और जो  108 पेजों के ड्राफ्ट में 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति बताई  जा रही   है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में अभी शिक्षा सुधारों के सुझावों को सिर्फ़ मंजूरी मिली है। इनका क्रियान्वयन होना अभी बाकी है। जरूरी नहीं कि नई शिक्षा नीति के सभी सुझाव मान ही लिए जाए, क्योंकि शिक्षा समवर्ती विषय है जिस पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं । नई शिक्षा नीति द्वारा  शिक्षा में सुधार के जो भी सुझाव दिए गए हैं, वह राज्य एवं केंद्र सरकार दोनो  की सहमति  से ही लागू किए जाएंगे ।

शिक्षा नीति  2020 कब लागू होगी-

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अभी इतनी जल्दी लागू नहीं होगी, सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझावों को पूरी तरह से लागू करने हेतु 2040 का समय सुनिश्चत  किया गया है। ऐसा भी हो सकता है की इसके कुछ सुझाव आने वाले दो-तीन सालों में लागू कर दिए जाएँ, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के फाइनल ड्राफ्ट में दर्शाया गया है कि 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होना चाहिए, जहां किसी भी सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले शिक्षार्थियों को समान रूप से सर्वोच्च एवं गुणवत्तापूर्ण  शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके । आपको बता दें कि 1968 में बनी पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति फंड के अभाव की वजह से पूरी तरह से लागू नहीं की जा सकी थी ।

बोर्ड की परीक्षाओं पर इसका असर –

नई शिक्षा नीति में दसवीं एवं  बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में भी बड़े बदलाव किए गए हैं । बोर्ड की परीक्षाएं कराई जाएँगी, परंतु  इनके महत्व को कम कर दिया गया है । नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराई जाएँगी, जिससे अब  विद्यार्थियों पर बोर्ड परीक्षाओं का दबाव कम हो जाएगा । विद्यार्थियों के रटने की प्रवृत्ति को घटाने हेतु विषयों के कॉन्सेप्ट एवं  ज्ञान को महत्व दिया गया है । बोर्ड परीक्षाओं को दो हिस्सों- वस्तुनिष्ठ एवं  व्याख्त्मक श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा, परीक्षा में मुख्य ध्यान  ज्ञान के परीक्षण पर रखा जाएगा  ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को खत्म किया सके । सभी  बोर्ड आने वाले वक्त में बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कक्षा तीन, पांच एवं आठवीं में भी परीक्षाएं करवाई जाएँगी । 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं बदले हुए स्वरूप में कराई जाएँगी  । बोर्ड परीक्षाओं को लेकर ये अहम बदलाव 2022-23 वाले सत्र से लागू करने का पूरा प्रयास है।  10+2 की जगह नई शिक्षा नीति 2020 में 5+3+3+4 को अपनाया जाएगा  ।

उच्च शिक्षा हेतु नई शिक्षा नीति में अहम बदलाव –

  1. नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार छात्रों को स्नातक में चार साल का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा । जिसमें यह भी विकल्प है ,कि जो विद्यार्थी ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करना चाहते हैं एवं हायर एजुकेशन नहीं करना चाहते है , उनके लिए तीन साल की डिग्री रखी गई है ।
  2. परंतु शोध में जाने वाले विद्यार्थियों को चार साल की डिग्री लेना अनिवार्य रखा गया है। चार साल की डिग्री करने वाले विद्याथियों को  एक साल में स्नातकोत्तर करने का मौक़ा मिलेगा ।
  3. यदि कोईछात्र इंजीनियरिंग कोर्स को किसी कारणवश पूरा नहीं कर पाता है और  दो साल में ही छोड़ देता है, तो उसे भी डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा ।
  4. पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लागू किया जाएगा ।
  5. यदि चार साल के डिग्री कोर्स में कोई विद्यार्थी पहले साल में ही कॉलेज छोड़ देता है, तो उसे सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा  ।
  6. जबकि दूसरे साल के बाद एडवांस सर्टिफिकेट एवं  तीसरे साल के बाद छोड़ने पर डिग्री प्रदान की जाएगी  ।
  7. अगर विद्यार्थी पूरे चार साल पढ़ेगा तो चार साल बाद की डिग्री उसे शोध के साथ प्रदान की जाएगी  ।
  8. पोस्ट ग्रेजुएट में तीन तरह के विकल्प रखे गये है जिन्होंने तीन साल का डिग्री कोर्स पूरा किया है उनके लिए दो साल का मास्टर्स रखा जाएगा  ।
  9. दूसरा- चार साल के डिग्री कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का एमए रखा जाएगा  ।
  10. तीसरा- पांच साल का इंटिग्रेडेट प्रोग्राम कराया जाएगा जिसमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर दोनों एक साथ कराया जाएगा ।

नई शिक्षा नीति  2020 में एमफिल और पीएचडी –
नई शिक्षा नीति 2020 में एमफिल को खत्म कर दिया गया है। तथा पीएचडी के लिए चार साल की डिग्री शोध के साथ अनिवार्य कर दी गयी है ।

5+3+3+4 की व्याख्या –

नई शिक्षा नीति में 10+2 की जगह सरकार  ने 5+3+3+4 का फॉर्मूला रखा है। इसमें 5 का अर्थ है कि तीन साल प्री-स्कूल के एवं  उसके बाद के दो साल पहली व दूसरी कक्षा के, 3 का अर्थ है- तीसरी, चौथी एवं पांचवी कक्षा ।  इसके बाद के 3 का मतलब  है- छठी, सांतवीं एवं  आठवीं कक्षा । आखिर वाले 4 का अर्थ है – नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं एवं  बारहवीं कक्षा ।

जिसके अनुसार बच्चे अब तीन साल की उम्र में फॉर्मल स्कूल में जाना शुरू कर देंगे छह साल की उम्र में बच्चा पहले की तरह की पहली कक्षा में रहेगा  । नई व्यवस्था में प्ले-स्कूल के शुरुआती सालों  को भी स्कूली शिक्षा में जोड़ दिए गए हैं ।

नई शिक्षा नीति में शोध के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन स्थापित करने की बात भी रखी गयी है। उच्च शिक्षण संस्थानों को बहु विषयक संस्थानों में बदल दिया जाएगा । 2030 तक प्रत्येक  जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा । तथा ऑनलाइन शिक्षा हेतु क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट भी तैयार किया जाएगा वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, स्कूलों, शिक्षकों एवं  छात्रों को डिजिटल  संसाधनों से जोड़ दिया जाएगा ।  शिल्प, कला,  खेल, योग, संगीत, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ।

अब छठी कक्षा से ही बच्चे को प्रोफेशनल एवं  स्किल की शिक्षा प्रदान की जाएगी। स्कूल में ही बच्चे को नौकरी के जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी । पांचवीं तक एवं जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी । नेशनल एसेसमेंट सेंटर भी बनाया जाएगा जिससे  बच्चों के सीखने की क्षमता का वक्त-वक्त पर परीक्षण होता  रहेगा  ।

नई शिक्षा नीति में यूजीसी, एनसीटीई एवं  एआईसीटीई को खत्म करके एक रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी । अभी यह स्पष्ट नही किया गया है कि इस नियामक बॉडी का स्वरूप कैसा रखा गया है । कॉलेजों को स्वायत्ता (ग्रेडेड ओटोनॉमी) देने के साथ 15 साल में विश्वविद्यालयों से संबद्धता की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा ।  उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु कॉमन एंट्रेंस एग्जाम देना होगा । यह संस्थानों  हेतु अनिवार्य नहीं होगा । राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा यह परीक्षा आयोजित कराई जाएगी ।

नई शिक्षा नीति 2020 में अन्य महत्वपूर्ण बदलाव –

नई शिक्षा नीति 2020 में स्कूल शिक्षा एवं  उच्च शिक्षा में कई बड़े सुधारों पर मुहर लगाई गई है।  प्री-प्राइमरी शिक्षा हेतु एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा । जिसके तहत तीन से छह साल तक की उम्र  के बच्चे आएंगे । 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता एवं अंकज्ञान सुनिश्चित कर दिया जाएगा,  मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई भी पूरी तरह बदल दी जाएगी । कक्षा छह से आठ के बीच विषयों की पढ़ाई होगी । फीस पर नियंत्रण के लिए अवश्यक कदम उठाए जाएँगे । केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय एवं  प्राइवेट विश्वविद्यालय सभी के लिए एक ही नियम लागू किया जाएगा ।

नई शिक्षा नीति में टेक्नोलॉजी एवं ऑनलाइन एजुकेशन पर काफ़ी जोर दिया जाएगा  । प्रत्येक  जिले में कला, करियर एवं  खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ स्थापित होगा । विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों एवं  उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा । नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति प्रदान की जाएगी ।

संक्षेप में –

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय
  • स्कूलों के लिए  10+2 की जगह 5+3+3+4 फॉर्मूला
  • शिक्षा पर सरकारी खर्च 43% से बढ़ाकर जीडीपी का 6 % का लक्ष्य है।
  • ग्रेजुएशन में 3-4 साल की डिग्री व एमफिल की अनिवार्यता खत्म
  • छठी कक्षा से ही छात्रों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा
  • दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को बनाया गया आसान
  • पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई
  • UGC, NCTE और AICTE की जगह एक नियामक बॉडी
  • उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम
  • 2030 तक हर जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान
  • ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर
  • विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमतिFor more Reasoning Puzzle Quiz CLICK HERESubscribe Study Smart on YouTube for more such Videos